फ्रांस के राजदूत इमैनुएल ने कहा पर्यटकों और विशेष रूप से छात्रों के आदान-प्रदान में महामारी के कारण समस्याएं आईं। उन्होंने कहा हम 20 से 30 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि की दर पर काम कर रहे थे और करीब 10,000 भारतीय छात्र फ्रांस जा रहे थे। यह संख्या बहुत कम हो गई है।फ्रांस के राजदूत ने कहा स्थितियां बहुत खराब नहीं हुईं हैं। उन्होंने कहा हमने भारत से छात्रों के प्रवाह को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया है। हम पहली लहर के बाद वीजा देने वाले पहले देशों में से एक थे।फ्रांस के राजदूत ने कहा हमने यह सुनिश्चित किया कि विश्वविद्यालय में एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके। यदि छात्रों को टीका नहीं लगाया गया था, तो भी हमने उनके आगमन पर उन्हें एक टीका प्रदान किया। इस तरह के कदमों से हम पिछले दो वर्षों से 3,500 छात्रों के प्रवाह को बनाए रखने में सफल रहे। उन्होंने कहा मुझे विश्वास है कि जल्द ही हम अपने शुरुआती स्थितियों में वापस आ जाएंगे।
फ्रांस के राजदूत ने कहा कि अमेरिका या यूके में उच्च शिक्षा की तुलना में फ्रांसीसी डिग्री या डिप्लोमा की लागत बहुत कम है क्योंकि अधिकांश लागत फ्रांसीसी करदाताओं द्वारा वहन की जाती है। उन्होंने कहा हम विदेश से छात्र चाहते हैं। यह उनके देशों के साथ हमारे संबंधों के भविष्य के लिए अच्छा है। फ्रांस के राजदूत इमैनुएल ने कहा हम उनकी शिक्षा की पूरी कीमत नहीं चुकाएंगे, लेकिन जनता के पैसे से एक बड़े हिस्से को सब्सिडी देंगे।
बता दें कि महामारी के बाद से भारत से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए फ्रांस जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में काफी गिरावट देखने को मिली, जो महामारी के पूर्व के आंकड़े का लगभग एक तिहाई है। भारत में फ्रांसीसी अधिकारी ने बहुत जल्द इस संख्या में परिवर्तन होने की संभावना जताई है।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)