इटावा। एक ओर जहां जनपद में छुट्टा गोवंश लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है वहीं दूसरी ओर इसका पालन पोषण कर शंभूनाथ महाराज इससे लाखों का व्यवसाय कर रहे हैं। इतना ही नहीं वे लोगों की सेवा भी कर रहे हैं और लोगों को रोग मुक्त कर रहे हैं। उनकी गोशाला में इस समय लगभग 250 गायें हैं। गोसेवा के साथ-साथ जरूरतमंदों की सेवा भी हो जाती है। इस गोशाला को शासन की ओर से 173 गायों के पालन पोषण के लिए लगभग 5190 रुपया प्रतिदिन मिलता है। शहर के पश्चिमी छोर पर संचालित श्री सिद्ध गुफा गोशाला में इस समय 250 गायों का संरक्षण श्री सिद्ध गुफा जीव रक्षा गोशाला के महंत स्वामी शंभूनाथ जी महाराज द्वारा किया जा रहा है। इन गायों का गौमूत्र व गोबर बेच कर तकरीबन 4 लाख रुपया वार्षिक जुटाया जा रहा है जबकि 18 लाख 94 हजार 350 रुपया की मदद शासन से हर साल मिल जाती है। गायों की सुरक्षा के लिए 6 कर्मचारी तैनात हैं उनको 7500 रुपया माह भोजन व कपड़ा दिया जाता है। उनके द्वारा तकरीबन 100 गायें जंगल में चरने ले जाई जाती हैं। बाकी गायें गोशाला में ही रहती हैं।गौमूत्र का दवा के रूप में सेवन करते हैं लोग: इस समय खान पान को लेकर अनेक बीमारियां लोगों को सताती रहती हैं। तकरीबन 100 से अधिक मरीज तो ऐसे हैं जो अपनी बीमारी से छुटकारा पाने को गोमूत्र का प्रयोग करते हैं।
गाय का गोबर लेपन के लिए माना जाता है शुभ : बताया गया है कि गाय का गोबर जहां घर के लेपन को लेकर शुभ माना जाता है वहीं इसके उपले से निकला धुआं अनेक बीमारियों को खत्म करता है। त्योहार के दौरान गोबर की मांग अधिक रहती है।
हर रोज एक हजार से अधिक परिवार निकालते हैं गो ग्रास : हदू धर्म में गाय के लिए पहली रोटी निकालने को बहुत ही शुभ माना जाता है। जिस घर में गाय नहीं पाली जाती है। लोग पड़ोसी की गाय को पहली रोटी खिला कर पुण्य अर्जित करते हैं। इसी धारणा को लेकर टिक्सी मंदिर के सामने संचालित गोशाला के संचालक द्वारा गायों का भरण- पोषण करने के लिए दो साइकिल व एक रिक्शा से गो ग्रास व चोकर एकत्र करा कर गायों को खिलाया जाता है। गोशाला संचालक शंभूनाथ महाराज बताते हैं कि हर रोज धार्मिक मान्यता वाले लोगो की मदद से तकरीबन डेढ़ क्विंटल की रोटी और तकरीबन एक क्विंटल चौकर एकत्र हो जाता है। इससे गो पालन में मदद मिलती है।