18 मई, 2022, गांधीनगर: गुजरात के खेल मंत्री माननीय श्री हर्ष संघवी ने द डायलॉग और गुजरात नेशनल लॉ
यूनिवर्सिटी (जीएनएलयू) द्वारा इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्मर्स के रेगुलेशन (नियमन) विषय पर आयोजित
एक राउंड टेबल चर्चा के दौरान कहा कि इस क्षेत्र में प्रगतिशील नीति-संचालित विनियमन (progressive
policy-driven regulation ) की आवश्यकता है।
श्री संघवी का विचार था कि अधिक प्रभावी, प्रगतिशील और समावेशी विनियमन का मसौदा तैयार करने में
सक्षम होने के लिए पहले फैंटेसी स्पोर्ट्स के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और प्लेटफार्मों के सामने आने वाली
चुनौतियों और बाधाओं का आकलन करना महत्वपूर्ण है।यह राउंड टेबल सम्मेलन माननीय प्रधानमंत्री द्वारा एवीजीसी क्षेत्र के लिए निर्धारित दृष्टिकोण और वैश्विक मोबाइल गेमिंग हब बनने की भारत की क्षमता की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया था।
फैंटेसी स्पोर्ट्स पर प्रमुख भारतीय विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और वकीलों के साथ बातचीत करते हुए, श्री संघवी ने
नीति आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त इस उभरते हुए क्षेत्र के महत्व को महसूस किया औऱ और सुझाव दिया कि गुजरात
खेल के चालक के रूप में इस उद्योग को अपनी पूरी क्षमता का लाभ उठाने में मदद कर सकता है। मंत्री ने कहा
कि फैंटेसी स्पोर्ट्स में स्पोर्ट्स डेवलपमेंट, आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की क्षमता है।गुजरात सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई भविष्योन्मुखी खेल नीति गुजरात में खेलों को बढ़ावा देने में खेल प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका की पहचान कर रही है और प्रौद्योगिकी आधारित खेल स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
बंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहित एस. शाह इस राउंडटेबल सम्मेलन के मुख्य वक्ता थे
और उन्होंने फैंटेसी स्पोर्ट्स के सकारात्मक विकास पर प्रकाश डालते हुए खेलों में प्रौद्योगिकी की विकसित प्रकृति
को पहचाना।उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा अपनाए गए अलग-अलग दृष्टिकोण फैंटेसी स्पोर्ट्स
प्लेटफॉर्म के लिए रेगुलेटरी (नियामक) बाधाएं पैदा कर रहे हैं। इसे खत्म करने के लिए, उन्होंने
केंद्र द्वारा स्थापित किए जाने वाले एक समान रेगुलेटरी (नियामक) ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया।
न्यायमूर्ति मोहित एस शाह के मुख्य भाषण के बाद दो राउंडटेबल चर्चाएं हुई। इसमें अर्थशास्त्रियों, खेल पत्रकारों,
शिक्षाविदों, वकीलों आदि अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
सत्र से निकले मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार थे:
फैंटेसी स्पोर्ट्स को एक उभरता हुआ क्षेत्र मानते हुए, यह जरूरी है कि केंद्र हस्तक्षेप करे और एक समान राष्ट्रीय स्तर
का रेगुलेटरी (नियामक) ढांचा पेश किया जाए जिससे कि इस क्षेत्र में व्याप्त अनिश्चितता को कम किया जा सके
क्योंकि प्लेटफॉर्म अपनी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए अभी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग निवेश, इनोवेशन (नवाचार) और वेल्थ क्रिएशन (धन सृजन) को बढ़ावा देने में सहायता
करता है। इसी कारण समय की मांग है कि एक सक्षम नियामक वातावरण तैयार किया जाए जो इस क्षेत्र में
अधिक से अधिक निवेश को बढ़ावा दे और रोजगार सृजन में वृद्धि करे। यह उद्योग सहायक उद्योगों के लिए भी
मददगार है, जिसमें टेक्नोलाजी साल्यूशन प्रोवाइडर, स्पोर्ट्स एनालटिक्स, कंटेंट स्ट्रीमिंग, स्पोर्ट्स ट्रेवपृल और
मर्चेंडाइजिंग, मार्केटिंग एवं क्रिएटिव सर्विसेज शामिल हैं।
फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग भारत में खेल पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
कई फैंटेसी स्पोर्ट्स ब्रांड जमीनी स्तर के खेल विकास, एथलीटों को अपनाने आदि करके खेल पारिस्थितिकी तंत्र
को सक्रिय रूप से वापस योगदान दे रहे हैं।
फैंटेसी स्पोर्ट्स उद्योग को नीति आयोग द्वारा सुझाए गए रास्तों के अनुरूप रेगुलेट किया जाना चाहिए। नीति
आयोग ने कहा है कि रिस्पांसिबल इनोवेशन और यूजर प्रोटेक्शन (उपयोगकर्ता संरक्षण) को प्रोत्साहित करने वाले
मार्गदर्शक सिद्धांतों के व्यापक ढांचे द्वारा ही फैंटेसी स्पोर्ट्स को रेगुलेट किया जाएगा।
यह उद्योग अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है, ऐसे में विशेषज्ञों के एक पैनल के साथ सरकार द्वारा मान्यता
प्राप्त एसआरओ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और उद्योग के भीतर इनोवेशन( नवाचार) को प्रोत्साहित करने
के लिए लाइट-टच विनियमन को प्रोत्साहित करने में सक्षम होगा।इस उद्योग के विकास के लिए एक संयुक्त मोर्चे की आवश्यकता है जिसमें गेमिंग उद्योग केहितधारकों को एक साथ आने की जरूरत है ताकि वे जिस तरह के रेगुलेशन (विनियमन)
चाहते हैं और इसे कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर आम सहमति बनाई जा सके।