लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से चल रहे मदरसों को बंद कराने की कवायद बाल संरक्षण आयोग ने शुरू कर दी है। आयोग ने वैध और अवैध मदरसों की सूची तैयार कर ली है। प्रदेश भर में 16416 कुल मदरसे हैं। इनमेें से 558 अनुदानित हैं। जो मदरसे वैध नहीं हैं आज उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए आयोग द्वारा सीएम कार्यलय में रिपोर्ट भेजी जाएगी। रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई सुनिश्चित होगी।बीते, तीन दिन पहले बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी ने टीम के साथ गोसाईगंज शिवलर स्थित मदरसे का निरीक्षण किया था। जिसमें तमाम खामियां मिली थीं। बच्चों को जमीन पर सुलाया जाता था। पौष्टिक भोजन के स्थान पर चने और मटर की दाल दी जाती थी। पैरों में बेड़ियां डालने के बाद ताला जड़कर रखा जाता है। एक्सपायरी दवाइयां मिली थीं। जिन्हें नष्ट कराया गया था। आयोग ने मदरसे के खिलाफ पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए थे।गोसाईगंज के शिवलर में स्थित अवैध मदरसे और संचालक हलीम के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली ने संज्ञान लिया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली ने बाल संरक्षण आयोग लखनऊ को फोन कर केस संख्या समेत अन्य जानकारी ली। मामले में कड़ी कार्रवाई के लिए कहा है। यह जानकारी बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डा. सुचिता चतुर्वेदी ने दी।बीते शुक्रवार दोपहर मदरसे में पढ़ने वाले छात्र शहवाज और राजू दीवार फांदकर भागे थे। शहवाज के पैर जंजीर से बंधे थे और ताला जड़ा था। शहवाज को इस हालत में भागते हुए देखकर रास्ते में कुछ लोगों ने उसे रोका और पूछताछ की। इस पर शहवाज ने मदरसे की दहशत भरी दास्तां सुनाई थी। बताया था कि मदरसे में छात्रों को बुरी तरह पीटा जाता है। उन्हें बांधकर रखा जाता है। शहवाज ने पीठ, पैर और हाथ की चोटें भी दिखाई थीं। इस पर लोगों ने मोबाइल से वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया था। जिसके बाद पुलिस दोनों छात्रों को थाने ले गई थी। इंस्पेक्टर गोसाईगंज शैलेंद्र गिरी ने बताया कि छात्रों के घरवालों को बुलाया गया था। उन्होंने किसी आरोप से इनकार किया था। उन्होंने कहा कि बच्चे अकसर घर से भाग आते हैं। इस लिए मदरसे के मौलवी से उन्हें बांधकर रखने के लिए कहा गया था। बच्चों के घरवालों ने किसी कार्रवाई से इनकार किया था।