रायपुर। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बुधवार को हुए नक्सली हमले में 10 डीआरजी जवानों और धनीराम नाम के एक ड्राइवर की भी मौत हो गई। गीदम शहर के निवासी धनीराम पिछले 5 सालों से गाड़ी चलाते थे और कुछ महीनों से जवानों को टेम्पो टैक्सी वाहन में लाना ले जाना काम कर रहे थे। वहीं, धनीराम अपने पीछे पत्नी और दो बच्चों (एक बेटी और एक बेटा) को छोड़ गए।
धनीराम की मौत के बाद उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। वह अपने परिवार की जीविका के एक मात्र सहारा थे। वहीं, धनीराम की मौत के बाद उनके बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है। धनीराम की बड़ी बेटी बंसती जो 11 वीं कक्षा में पढ़ती है। उसने रोते हुए कहा कि पापा को बोला था जवानों को लेकर मत जाना, बिना बताए गए और नक्सलियों ने मार डाला।
ड्राइवर की पत्नी का कहना है कि उन्होंने इससे पहले धनीराम को कई बार जवानों के लिए गाड़ी चलाने से मना किया, लेकिन वो नहीं माने। मंगलवार को भी घर से निकले और शाम तक वापस लौटने की बात कही। घटना वाले दिन भी उन्होंने दोपहर तक आने की बात कही थी, लेकिन वो नहीं लोटे। उनके देवर ने उन्हें बताया कि नक्सलियों ने उनके वाहन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया है और उनकी मौत हो गई है।
उन्होंने कहा कि परिवार में कमाने वाले केवल एक वही थे. उन्हें अब अपने और बच्चों की भविष्य की चिंता सताने लगी है। नीराम की पत्नी ने सरकार से उनकी बेटी को नौकरी देने और मुआवजे की मांग की है।