वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारत की कोई भूमिका नहीं है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि चुनाव में कौन खड़ा है और कौन जीतता है, भारत हमेशा आगे रहता है। हाल के दशकों में अमेरिका के दोनों दलों का भारत के साथ संबंध गहरा हुआ है। भारत के लिए इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि व्हाइट हाउस में डेमोक्रेट हैं या रिपब्लिकन। उसके लिए दोनों ही अच्छे हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों ही दृष्टि से संबंधों में एक नई ऊर्जा का संचार किया है। वह और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कई बार द्विपक्षीय रूप से और व्यक्तिगत रूप से वाशिंगटन डीसी में और दुनिया भर के बहुपक्षीय मंचों के मौके पर मिले हैं। क्वाड शिखर सम्मेलन में मई में ऑस्ट्रेलिया में वे फिर से मिलेंगे। उसके बाद मोदी के राजकीय दौरे पर वाशिंगटन डीसी आने की उम्मीद है। बाइडेन जी20 शिखर सम्मेलन के लिए बाद नई दिल्ली की यात्रा करेंगे। इस बीच भी उनकी मुलाकात हो सकती है।
बाइडेन ने क्वाड को नेताओं के स्तर को उठाया है और इसे अप्रत्याशित रूप से प्रभावित किया है। भारत के साथ प्रमुख सदस्य के रूप में आर्थिक समृद्धि के लिए इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क लॉन्च किया है। एस-400 रूसी वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं है। दोनों देशों ने नई प्रौद्योगिकियों पर सहयोग के लिए संयुक्त रक्षा निर्माण की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
हालांकि दोनों देशों के बीच संबंधों में चुनौतियां भी आई हैं। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण पर दोनों देशों के बीच मतभेद रहा है। अमेरिकियों ने पहले शिकायत की कि भारत आक्रमण की निंदा करने में स्पष्टवादी नहीं है और फिर, पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजद भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर भड़क गया। लेकिन बाइडेन प्रशासन ने इन गतिरोधों के बावजूद भारत से अपने रिश्ते को बनाए रखा और भारत ने भी वैसा किया है।
हालांकि इस रिश्ते की शुरुआत न तो बाइडेन ने की न ही मोदी ने। दोनों ने अपने पूर्ववर्तियों के कार्यो को आगे बढ़ाया। इन संबंधों का आधार राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश और प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत-अमेरिका नागरिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच 2008 में परमाणु समझौते ने, 1998 के पोखरण दो परीक्षणों के बाद भारत के परमाणु अलगाव को समाप्त कर दिया।
बाद में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रयासों से भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने क्वाड का गठन किया, जिसे 2008 में ऑस्ट्रेलिया के बाहर चले जाने पर छोड़ दिया गया था। क्वाड 2.0 की पहली बैठक 2018 में फिलीपींस के मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन के मौके पर हुई थी। इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के मौके पर 2019 में विदेश मंत्रियों के स्तर तक बढ़ाया गया था। बाइडेन इसे नेताओं के स्तर तक ले गए, क्योंकि यह उनकी पहली विदेश नीति में से एक था।
भारत-अमेरिका संबंध दोनों पक्षों में द्विदलीयता में लिपटा हुआ है और दोनों राजधानियों में इसकी स्वीकार्यता है। हालांकि ऐसे अवसर भी आए हैं जब इसे नजरअंदाज किया गया। 2016 में भारत हिलेरी क्लिंटन की जीत के बारे में इतना आश्वस्त था कि उसने ट्रम्प के साथ संबंध बनाने का बहुत कम या कोई प्रयास नहीं किया था और फिर 2019 में, मोदी ने ट्रम्प के संयुक्त रूप से ह्यूस्टन व टेक्सास में एक रैली को संबोधित कर ट्रम्प को दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने का आह्वान किया। हालांकि ऐसे मौके कम ही आए हैं।