नई दिल्ली। दिवालिया होने की कगार पर गो फर्स्ट को कर्ज देने वाले बैंकों के नाम सामने आ गए हैं। ऐसे लेंडर्स की संख्या चार से पांच बताई जा रही है जिनका बकाया अभी 6500 करोड़ रुपये से ज्यादा है। खास बात ये है कि एयरलाइन ने अप्रैल तक किसी भी लेंडर की किस्त में कोई चूक नहीं की है, लेकिन दिवालिनया फाइलिंग के बाद अब इसमें ब्रेक लगता हुआ दिखाई दे रहा है। इस घटना के बाद कर्ज देने वाले लेंडर्स के शेयरों में भारी गिरावट भी देखने को मिल रही है।
गो फर्स्ट को कर्ज देने वाले बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और एक्सिस बैंक के नाम देखें जा रहे हैं। एयरलाइन को इन कंपनियों का 6,521 करोड़ रुपये बकाया चुकाना है। गो फर्स्ट द्वारा दाखिल किए गए दिवालियापन फाइलिंग के अनुसार, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और ड्यूश बैंक जैसे बैंक भी गो फर्स्ट के वित्तीय लेनदारों में से हैं। वैसे संकट में घिरी एयरलाइन ने अप्रैल के अंत तक इनमें से किसी भी बकाये पर चूक नहीं की है। वैसे अब कॉर्पोरेट आवेदक की वर्तमान वित्तीय स्थिति को देखते हुए आने वाले महीनों में किस्तें रुक सकती हैं।
गो फर्स्ट के डूबने की खबर के बाद आज यानी बुधवार को लेंडर्स के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के शेयर बुधवार को शुरुआती कारोबार में 7 फीसदी तक गिर गए। बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयरों में कारोबारी सत्र के दौरान 4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। आईडीबीआई बैंक के शेयरों में करीब 3 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है और एक्सिस बैंक का शेयर एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट पर कारोबार कर रहा था।
वाडिया ग्रुप की गो फर्स्ट ने मंगलवार को जानकारी देते हुए कहा था कि उसने दिवाला इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन के लिए आवेदन दिया है। एयरलाइन ने कहा कि अमेरिकी कंपनी प्रैट एंड व्हिटनी की ओर से समय पर इंजन प्रोवाइड नहीं कराए, जिसकी वजह से उन्हें 50 प्लेन को ग्राउंडेड रखना पड़ा। जिसकी वजह से कंपनी अपना बकाया चुकाने में पूरी तरह से असमर्थ है। वैसे पिछले महीने एक रिपोर्ट आई थी कि वाडिया ग्रुप गो फर्स्ट में 300 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।