नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक डिंगांगलुंग गंगमेई ने मणिपुर उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें मीतेई/मेइतेई समुदाय को मणिपुर की जनजाति के रूप में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के संबंध में आदेश दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष गंगमेई द्वारा दायर याचिका में राज्य सरकार को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची के लिए एक जनजाति की सिफारिश करने के संबंध निर्देश देने की मांग की गई थी, जो केवल राज्य के अधिकार क्षेत्र में आती है, न कि उच्च न्यायालय के। भाजपा विधायक गंगमेई द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश से मणिपुर में अशांति फैल गई और 19 लोगों की मौत हुई है।
याचिका के अनुसार- “ आदेश के कारण, दोनों समुदायों के बीच तनाव हो गया है और राज्य भर में हिंसक झड़पें हुई हैं। इसके परिणामस्वरूप अब तक 19 आदिवासी मारे गए हैं, राज्य में विभिन्न स्थानों को अवरुद्ध कर दिया गया है, इंटरनेट पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। याचिका में कहा गया है कि और अधिक लोगों को अपनी जान गंवाने का खतरा है।”
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दो अन्य याचिकाएं भी दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री और मामलों को सूचीबद्ध करने से सीधे तौर पर जुड़े अधिकारियों के अनुसार मामले की गंभीरता और महत्व को देखते हुए मामले को बहुत जल्द सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।