नई दिल्ली। पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर इस बात से हैरान हैं कि इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे तीसरे टेस्ट के दौरान ऋषभ पंत के क्रीज से बाहर खड़े होने के ‘स्टांस’ पर इंग्लैंड के अंपायरों ने आपत्ति क्यों जताई क्योंकि उनका मानना है कि नियम बल्लेबाजों को ऐसा करने से नहीं रोकते हैं. पंत ने खुलासा किया कि उन्हें अंपायर के कहने पर अपना ‘स्टांस’ बदलना पड़ा क्योंकि स्विंग से निपटने के लिये क्रीज के बाहर खड़े होने से पिच के ‘डेंजर एरिया’ (स्टंप के सीध में पिच का क्षेत्र) में पांवों के निशान बन रहे थे. गावस्कर ने हालांकि कहा कि पिच पर जूते से बनने वाले निशान किसी बल्लेबाज के ‘स्टांस’ का निर्धारण नहीं करते.
इस पूर्व महान बल्लेबाज ने मैच के तीसरे दिन शुक्रवार को कमेंट्री के दौरान कहा, ‘अगर यह सच है तो मैं सोच रहा था कि उसे अपना ‘स्टांस’ बदलने के लिए क्यों कहा गया. मैंने इस बारे में केवल पढ़ा है. बल्लेबाज पिच पर कहीं भी खड़ा हो सकता है, यहां तक कि पिच के बीच में भी . बल्लेबाज कई बार स्पिनरों के खिलाफ आगे निकल कर खेलते है (पैरों के निशान तब भी बन सकते हैं).’ उनके साथी कमेंटेटर और भारत के पूर्व खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने इसे ‘बेतुका’ करार दिया.
पंत को स्टांस बदलने के लिए कहना कहां तक सही?
मैच के पहले दिन भारतीय पारी 78 रन पर सिमट गयी थी. पंत ने दिन के खेल के बाद इस वाकये का जिक्र किया था. उन्होंने कहा, ‘मैं क्रीज के बाहर खड़ा था और मेरा अगला पांव ‘डेंजर एरिया’ में आ रहा था इसलिए उन्होंने (अंपायर) मुझसे कहा कि मैं यहां पर खड़ा नहीं हो सकता हूं.’ बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘इसलिए मुझे अपना स्टांस बदलना पड़ा लेकिन एक क्रिकेटर होने के नाते मैं इस बारे में अधिक नहीं सोचता क्योंकि जो भी ऐसा करता, अंपायर उससे भी वही बात करते. मैंने अगली गेंद पर वैसा नहीं किया.’ अंपायरों के इस फैसले के बाद एक बार फिर यह चर्चा हो रही कि क्या अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को फिर से तटस्थ अंपायरों का इस्तेमाल करना चाहिये. कोविड-19 के दौरान यात्रा प्रतिबंधों के कारण आईसीसी ने घरेलू अंपायरों के इस्तेमाल की मंजूरी दी है.