बरेली : सिविल जज सीनियर डिवीजन ने पासपोर्ट में जन्मतिथि सही करने का एक फैसला वादी के पक्ष में सुनाया है। वादी महिला ने जन्मतिथि को पासपोर्ट आफिस में ठीक न करने पर वाद दायर किया था। जिसके बाद कोर्ट ने पासपोर्ट पर जन्मतिथि सुधार के लिए अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय का यह नियम नाबालिगो पर लागू नहीं होता। वादी कविता भट्ट के मुताबिक जब उन्होंने पासपोर्ट बनवाया था, तब वह अवयस्क थीं।
उनकी जन्मतिथि गलती से एक साल कम लिख गयी। व्यस्क होने के बाद उनका विवाह हुआ और पति के कनाडा शिफ्ट हो जाने की वजह से उन्हें भी वहां की नागरिकता के लिए आवेदन करना था। उस समय उनके संज्ञान में यह बात आई कि उनकी हाईस्कूल की मार्कशीट में जन्मतिथि और पासपोर्ट में लिखी जन्मतिथि अलग हैं। इस कारण से उनके पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है।कोर्ट में कविता ने अपनी जन्मतिथि वर्ष 1989 की पैदाइश होने का डिक्लेरेशन मांगा। पासपोर्ट कार्यालय ने कहा कि उस जन्मतिथि में सुधार नहीं किया जा सकता। क्योंकि विदेश मंत्रालय के पत्र के अनुसार यह सुधार गलती होने के पांच साल के अंदर ही करवाया जा सकता है और यह केस पांच वर्ष के बाद दायर किया गया है।