हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार के विवाह का विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के बाद जाग्रत होते हैं। कहा जाता है कि तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।
इसलिए अगर किसी ने कन्या दान न किया हो तो उसे जीवन में एक बार तुलसी विवाह करके कन्या दान पुण्य अवश्य प्राप्त करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह विधि-विधान से संपन्न कराने वाले भक्तों को अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से मनोकामना पूरी होती है। वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है।एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। तुलसी विवाह 15 नवंबर, दिन सोमवार को किया जाएगा। द्वादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 16 नवंबर को सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगी।