दिन-रात स्मार्टफोन की स्क्रीन से चिपकी रहने वाली मांएं जरा गौर फरमाएं। इजरायल में हुए नए अध्ययन से पता चला है कि स्मार्टफोन के इस्तेमाल के दौरान बच्चों से मांओं का संवाद चार गुना घट जाता है। इससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा प्रभाव पड़ना लाजिमी है। तेल अवीव यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास पर मां की आदतों का असर आंका। उन्होंने दो से तीन साल के बच्चों की सौ से अधिक मांओं को तीन समूह में बांटा। पहले समूह को फेसबुक के इस्तेमाल, दूसरे को मैग्जीन पढ़ने और तीसरे को स्मार्टफोन को दूर रखकर बच्चे के साथ खेलने का निर्देश दिया। इस दौरान बच्चे और मांओं के बीच होने वाले संवाद के तीन पहलुओं पर नजर दौड़ाई।
विकास पर आंका असर-
पहला, ‘लिंग्विस्टिक’ यानी भाषा संबंधी। दूसरा, ‘कंवर्सेशनल’ यानी संवादपरक। तीसरा, ‘मेटर्नल रिस्पॉन्सिवनेस’ यानी बच्चे की जरूरतों पर मां की प्रतिक्रिया। ‘लिंग्विस्टिक’ पहलु जहां बच्चों का शाब्दिक एवं भाषाई ज्ञान बढ़ाने के लिहाज से अहम है। वहीं, ‘कंवर्सेशनल’ पहलु उन्हें संवाद की कला सिखाकर ज्यादा सामाजिक बनाता है। जबकि, ‘मेटर्नल रिस्पॉन्सिवनेस’ की बात करें तो बच्चे का सर्वांगीण विकास इस पर निर्भर है। इसमें भाषाई, सामाजिक, भावनात्मक और बौद्धिक विकास शामिल है।