प्रयागराज । महादेव भगवान शिव व माता पार्वती के मिलन पर्व महाशिवरात्रि करीब है। महाशिवरात्रि पर स्नान, दान व अभिषेक का विशेष महत्व है। प्रयागराज के माघ मेला का अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि है। इसी कारण सनातन धर्मावलंबियों के लिए ये अत्यंत खास पर्व है। एक मार्च को पडऩे वाली महाशिवरात्रि पर काल सर्प योग की स्थिति बन रही है, जिसमें अभिषेक व पूजन करने वालों को काल सर्प दोष से शीघ्र मुक्ति मिलेगी। ज्योतिर्विद आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 फरवरी की रात 2.07 बजे तक है। रात 2.08 बजे से चतुर्दशी तिथि लग जाएगी, जो एक मार्च की रात 12.25 बजे तक रहेगी। अगले सोमवार की रात जागरण होगा, जबकि मंगलवार को स्नान, दान, व्रत, पूजन व अभिषेक किया जाएगा। अधोर पूजा का समय मंगलवार की रात 11.48 से 12.38 बजे तक है। कुंभ राशि में चंद्रमा, सूर्य, बृहस्पति संचरण करेंगे। मकर राशि में मंगल, शुक्र, शनि व बुध का संचरण होगा। इसके साथ वृष राशि में राहु व वृश्चिक राशि में केतु रहेंगे। राहु-केतु के एक ही तरफ दो राशियों में सातों ग्रहों के संचरण के कारण काल सर्प योग की स्थिति बन रही है। इससे महाशिवरात्रि पर काल सर्प दोष की शांति के लिए पूजन करना कल्याणकारी रहेगा। शिव का अर्थ-कल्याणकारी और लिंग का अर्थ सृजन है। महाशिवरात्रि पर महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सुबह संगम, यमुना, गंगा अथवा किसी पवित्र नदी में स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजन के लिए एक चौकी पर जल भरे कलश को स्थापित करके शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र रखें। इसके बाद रोली, मौली, अक्षत, पान सुपारी, लौंग, इलायची, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, कमलगटटा, धतूरा, बिल्व पत्र, कनेर आदि अर्पित करके कथा का पाठ करके आरती करनी चाहिए।
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