ईरान पर अलग-थलग पडऩे के बाद विदेश मंत्री पाम्पिओ की मध्य एशियाई देशों का दौरा

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ रविवार से अपनी चार शुरू देशों की यात्रा पर निकल गए। स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मॉर्गन ऑर्टागस ने कहा विदेश मंत्री पोम्पिओ 23 से 28 अगस्त तक इजराइल, सूडान, बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की यात्रा करेंगे। खास बात यह है कि पोम्पिओ की मध्य एशियाई देशों की यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब अमेरिका ईरान के मसले पर संयुक्त राष्ट्र में अलग-थलग पड़ गया है। यहां तक पश्चिमी देशों ने भी उसका साथ देने से इन्कार कर दिया। ऐसे में अमेरिकी विदेश मंत्री की इन देशों की यात्रा अहम मानी जा रही है। कयास लगाए जा रहा है कि पोम्पिओ अपनी इस यात्रा के जरिए यह संदेश देंगे कि अमेरिका उनके हितों के साथ मजबूती से जुड़ा है। प्रवक्ता ने बताया कि पाम्पिओ का पहला पड़ाव इजराइल है, जहां वे क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बैठक करेंगे। पोम्पिओ दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ करेंगे। सूडान में अपने प्रवास के दौरान पोम्पिओ सूडानी नेताओ के साथ मुलाकात करेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री पोम्पिओ नागरिक नेतृत्व वाली अस्थायी सरकार के लिए अमेरिकी समर्थन को जारी रखने का आश्वासन देंगे। इसके साथ सुडान और इजराइल संबंधों को और गहरा करने पर चर्चा करेंगे। विदेश मंत्री बहरीन और यूएई की भी यात्रा करेंगे। पाम्पिओ की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने पिछले हफ्ते कहा था कि संयुक्त अरब अमीरात और इजरायल के बीच शांति समझौते फिलिस्तीनियों की पीठ में एक छुरा है। अब्बास ने सभी अरब देशों से 2002 में शुरू की गई अरब शांति पहल का पालन करने का आह्वान किया। बता दें कि ईरान पर फिर से संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक प्रतिबंध लगवाने की अमेरिका की मुहिम खटाई में पड़ती नजर आ रही है। अमेरिका के हर कदम पर उसका साथ देने वाले ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने इस मसले पर साथ देने से इन्कार कर दिया है। रूस और चीन पहले से ईरान पर किसी तरह के प्रतिबंध के खिलाफ हैं। अमेरिका ने अपने सहयोगी तीनों देशों के रुख पर हैरानी जताई है, क्योंकि इनमें से ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के सदस्य भी हैं। दोनों देशों के इस रुख से सुरक्षा परिषद में अब अमेरिका के प्रस्ताव के गिरने का खतरा पैदा हो गया है।

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