नई दिल्ली, एजेंसी। प्रधानमंत्री मोदी नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में परीक्षा पे चर्चा के तहत छात्रों, अभिभावकों व शिक्षकों से बात कर रहे हैं । उन्होंने छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों का बड़े ही सहज शब्दों में जवाब दिया। साथ ही पढ़ाई के अलावा खेल-कूद के लिए भी प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में लाखों की संख्या में छात्र, शिक्षक और अभिभावक आनलाइन माध्यम से जुड़ें हैं। प्रधानमंत्री मोदी का यह पांचवां ‘परीक्षा पे चर्चा 2022’ कार्यक्रम है। कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद आफलाइन परीक्षा देने जा रहे 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी काफी तनाव में हैं और प्रधानमंत्री द्वारा आज दिए जाने वाले टिप्स से उन्हें तनाव कम करने में काफी मदद मिलेगी। कार्यक्रम के दौरान देश भर से करीब 20 छात्रों द्वारा प्रधानमंत्री से सवाल पूछे जाएंगे।ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों की शिक्षा को लेकर एक अभिभावक द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘स्थितियां बदली हैं और समाज यदि बेटियों के सामर्थ्य को जानने में पीछे रह गया तो कभी आगे नहीं बढ़ सकता है। बेटियों के सामर्थ्य का सम्मान जरूरी है।’ प्रधानमंत्री ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का जिक्र किया और कहा, ‘भारत की बेटियां हर जगह अपना नाम रोशन कर रहीं हैं। आज बेटी हर परिवार की शक्ति बन गई है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बेटे- बेटियों के बीच अंतर खत्म करना होगा। खेल-कूद व पढ़ाई को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जिस चीज में आपको आनंद आता है, आपको उसके लिए अपने आप को कम से कम एडजस्ट करना पड़ता है, वो रास्ता छोड़ने की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा कि कभी-कभी आप खुद का भी एग्जाम लें, अपनी तैयारियों पर मंथन करें, रिप्ले करने की आदत बनाएं, इससे आपको नई दृष्टि मिलेगी। जब आप खुले मन से चीजों से जुड़ेंगे तो कभी भी निराशा आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं दे सकती।प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘ईश्वर की सबसे बड़ी सौगात वर्तमान है। जो वर्तमान को जान पाता है, जो उसे जी पाता है, उसके लिए भविष्य के लिए कोई प्रश्न नहीं होता है। नमो एप पर एक छात्र ने स्मरण शक्ति से जुड़ा सवाल पूछा। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने ध्यान न रखने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘उस पल को जीने की कोशिश करें। ध्यान को जीवन में सहज तरीके से स्वीकार करना जरूरी है। आप जो भी करें सजग भाव से करें।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘स्मरण शक्ति का करें विस्तार नई चीजें जुड़ेंगी। मन विचलित हो तो गहरी सांस जरूर लें।प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘पुराने जमाने में शिक्षकों का परिवार से संपर्क होता था। उन्हें यह पता होता था कि परिवार की अपने बच्चों से क्या अपेक्षाएं हैं और वे क्या सोचते हैं। साथ ही शिक्षकों द्वारा क्या किया जा रहा है यह बच्चों के परिवार अच्छी तरह से जानते थे। यानि शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था। परीक्षा से डर व इसकी तैयारियों को लेकर छात्रों ने प्रधानमंत्री से सवाल किया। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने शिक्षकों व अभिभावकों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से कहा, ‘आप जो जीवन में करना चाहते थे वो नहीं कर पाए और इसे बच्चों के जरिए हासिल करना चाहते जिसके कारण इनपर प्रेशर होता है। यह चिंता का विषय है।