नई दिल्ली । पाकिस्तान में एक बार फिर इमरान सरकार के समक्ष विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पाकिस्तान में एक राजनीतिक अस्थिरता का दौर है। पाकिस्तान में पहली बार पूरा विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ एकजुट हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान में इमरान खान के पास क्या विकल्प है? राजनीतिक अस्थिरता का दौर कैसे खत्म होगा? क्या एक बार फिर पाकिस्तान में लोकतंत्र खतरे में है? क्या पाकिस्तान की हुकूमत में सेना का वर्चस्व बढ़ेंगा? क्या पाकिस्तान एक बार फिर तख्तापलट की ओर बढ़ रहा है? आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है। विदेश मामलों के जानकार डा अभिषेक प्रताप सिंह का कहना है कि पाकिस्तान में एक बार फिर संवैधानिक संकट की स्थिति है। उन्होंने कहा कि अगर सदन में इमरान खान बहुमत हासिल नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में तीन विकल्प हो सकते हैं। इमरान खान की पार्टी किसी अन्य नेता को पीएम पद पर बैठा सकती है। बहुमत के आधार पर विपक्ष सरकार बनाने का दावा कर सकता है। तीसरे देश में नेशनल असेंबली का चुनाव हो सकता है। उन्होंने कहा कि इन सबके बीच सेना का रोल सबसे अहम है। पाकिस्तान में 50 वर्षों के इतिहास में कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है। ऐसे में इमरान सरकार के समक्ष भी यही चुनौती है। पाकिस्तान की माली हालत देश में नए चुनाव की नहीं है। ऐसे में चुनाव का विकल्प देश के लिए खतरनाक होगा। राजनीतिक अस्थिरता में पाकिस्तान सेना की भूमिका बढ़ सकती है। हालांकि, सेना ने अभी तक अपने पत्ते साफ नहीं किए हैं। इसलिए अभी सेना को लेकर केवल अटकलें लगाई जा सकती है।
पाकिस्तान में क्या है अविश्वास प्रस्ताव के नियम
पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर एक से चार अप्रैल के बीच वोटिंग हो सकती है। इमरान खान के समक्ष अपनी सरकार बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है। क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में किस तरह से वोटिंग की जाती है। आखिर पाकिस्तान को अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री को अपने पद से हटाने और अविश्वास प्रस्ताव को लेकर क्या नियम हैं। मौजूदा समय में सदन की स्थिति बदल चुकी हुई है। इमरान की पार्टी के करीब एक दर्जन से अधिक सांसद पूरी तरह से बगावती हो चुके हैं। इन सांसदों ने तो यहां तक अपील की है कि वो अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्ष का साथ दें। वहीं उनको समर्थन करने वाली पार्टियों के नेता भी सरकार के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं। इमरान का समर्थन करने वाली एमक्यूएम ने पीपीपी का हाथ थाम लिया है।