लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी भी जनप्रतिनिधि की बात को अनसुना करने के मामले में सभी अधिकारियों को सख्त अल्टीमेटम दिया है। सीएम योगी आदित्यनाथ का सख्त निर्देश है कि सभी अधिकारी सिर्फ भाजपा या भाजपा के सहयोगी दलों के ही नहीं, बल्कि विपक्षी दलों के विधायकों का सम्मान करें। उनकी बात को सुनें और यथोचित जवाब भी दें।सीतापुर में शनिवार को सरकार में जेल राज्य मंत्री सुरेश राही के साथ उनके विधानसभा क्षेत्र हरगांव के 60-70 ग्रामीणों के सीतापुर कलेक्ट्रेट तक पहुंचने के प्रकरण पर सीएम योगी आदित्यनाथ बेहद गंभीर हैं। इस प्रकरण के बाद उन्होंने प्रदेश के सभी अधिकारियों को आखिरी अल्टीमेटम दिया है।सीएम योगी आदित्यनाथ का कहना है कि अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बात को जरूर सुने। उनकी जरा भी भी अनदेखी ना करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कहा है कि सिर्फ भाजपा या भाजपा के सहयोगी दल के विधायकों का ही नहीं, अधिकारी विपक्षी दल के विधायकों का भी सम्मान करें। जनसमस्या को लेकर उनकी बात को भी सुनें और उनका निरस्तारण करें।सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर कहीं से भी विधायकों के प्रदर्शन की सूचना मिली तो अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही के मामले में सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। प्रदेश के सभी अधिकारी विपक्षी दल के विधायकों को भी पूरा सम्मान दें। जिले या फिर विधानसभा क्षेत्र के विकास के कामों में हर विधायक की भागीदारी सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि अगर किसी भी अधिकारी की शिकायत मिली तो मैं तो कड़ी से कड़ी कार्रवाई करुंगा।सीतापुर में शनिवार के प्रकरण पर कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही ने देर शाम इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपना बयान जारी किया है। जिसमें उन्होंने धरना पर ना होने की बात कही है। उनका कहना है कि मैं क्षेत्र के कुछ कामों को लेकर जिलाधिकारी कार्यालय गया था। क्षेत्र की जनता भी साथ में थी। जिलाधिकारी उस समय कार्यालय में उपस्थित नहीं थे, संख्या ज्यादा थी। इसी कारण हम लोग बाहर ही बैठ गए थे। जिसको लेकर कुछ लोगों ने कहा मैं धरने पर बैठा हूं, ऐसा कुछ नहीं था। जनता के कामों को लेकर हम लोग अधिकारियों से मिलते रहते हैं। इस तरह की जो बताया गया कि सुरेश राही धरने पर बैठे हैं, ऐसी कोई बात नहीं थी। जनता के काम के लिए सिर्फ जिलाधिकारी से मिलने गए थे। हम हरगांव विधान सभा क्षेत्र के ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर शनिवार सुबह कलेक्ट्रेट पहुंच गए। हमारे साथ साथ पिपराघूरी, रिक्खीपुरवा व रौना के 40-50 ग्रामीण भी थे। उस समय कलेक्ट्रेट में डीएम के न होने पर हम ग्रामीणों के साथ ही परिसर में लगे पेड़ के नीचे बैठ गए।