प्रयागरज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज शहर में फैले डेंगू प्रकोप के नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा, जमीनी हकीकत, बताए गए कदमों से बिल्कुल विपरीत है। कहीं कुछ प्रतिरोधक उपाय होता नहीं दिख रहा है। वहीं नगर निगम के अधिवक्ता एसडी कौटिल्य ने आशंका जताई कि फॉगिंग के बावजूद कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे में लगता है कि यह डेंगू नहीं कोई और बीमारी है, जो फेफड़े, हृदय, लिवर, किडनी आदि को प्रभावित कर रही हैैै। कोर्ट ने प्रयागराज के डीएम, सीएमओ और नगर निगम के आयुक्त समेत सभी जिम्मेदार अधिकारियों को सुनवाई के समय हाजिर होने का निर्देश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने दिया है। पिछली तारीख पर कोर्ट ने चकबंदी अधिकारी की तैनाती को लेकर आश्चर्य व्यक्त करते हुए टिप्पणी की थी कि चकबंदी अधिकारी अब डॉक्टरों का भी काम करेंगे।बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके ओझा का कहना था, श्मशान घाट से रिपोर्ट मंगा ली जाए तो पता चल जाएगा कि बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है। आंकड़ा मिल जायेगा। इस पर कोर्ट ने कहा, शासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा। उठाए गए कदमों की अपेक्षा ग्राउंड रियलिटी अलग है। डाटा नहीं ग्राउंड रियलिटी देखें। डेंगू से सात वकीलों की मौत हो चुकी है जबकि 100 वकील बीमार हैं। जजों की कॉलोनियों सहित पाश इलाके में फॉगिंग नहीं की गई है।
वहीं याची के अधिवक्ता ने कहा, नगर निगम जाड़े का इंतजार कर रहा कि शायद जाड़े में डेंगू का प्रकोप खत्म हो जाय। फॉगिंग नहीं कराई जा रही है। इस पर निगम के अधिवक्ता ने कहा, जनता का सहयोग नहीं मिल रहा। उठाए गए कदमों से असंतुष्ट कोर्ट ने शुक्रवार को संबंधित अधिकारी को हाजिर रहने का आदेश दिया। सुनवाई चार नवंबर को होगी। कहा, निगम की ड्यूटी है कि वह नगर को साफ -सुथरा रखे। टेस्टिंग नहीं प्रिवेंटिव उपाय चाहिए।