इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इमरान खान सरकार को बहुत बड़ा झटका लगा है। चार दिन चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गरुवार को पैसला सुनाते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव खारिज करना और नेशनल असेंबली भंग करना, दोनों काम गैरकानूनी थे। प्रधानमंत्री इमरान खान को यह अधिकार नहीं है कि वह राष्ट्रपति से संसद भंग करने को कहें। गुरुवार को अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान की दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने कहा कि यह साफ है कि डिप्टी स्पीकर का फैसला संविधान के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी सरकार संविधान से ऊपर नहीं है। यह सरकार यही बात भूल गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हम कोई तर्क नहीं सुनेंगे। जो गैरकानूनी है और संविधान के खिलाफ है, हम उससे कोई बात नहीं करेंगे।नौ अप्रैल को संसद का सत्र बुलाएं और रात 10 बजे के पहले फैसला सुनाएं। अगर सरकार हार जाती है, तो जितनी जल्द हो सके नई सरकार बनाने का प्रॉसेस शुरू करें। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नौ अप्रैल को संसद का सत्र बुलाया जाएगा। इसमें अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। इसके मायने यह हुए कि इमरान जिस फजीहत से बच रहे थे, वही होने लगा है। दरअसल, इमरान चाहते थे कि संसद में उन्हें वोटिंग के दौरान हार का मुंह न देखना पड़े। इसलिए उन्होंने डिप्टी स्पीकर के जरिए अविश्वास प्रस्ताव ही खारिज करा दिया। बाद में राष्ट्रपति को सिफारिश भेजकर संसद भंग करा दी।